1 मुट्ठी वक्त | हिंदी शायरी | हिंदी कविता
एक मुट्ठी वक्त
जब आना तो कुछ पल साथ लाना
जी लूंगा उन पलों के सहारे,
कभी ख्वाहिश कम पड़ी है क्या
इस बार भी उमर भर के सपने संजो रखे हैं।
ज़िन्दगी की कसौटी की परख
ना कभी की ना ख्वाहिश है,
जो तुम कह दो खरा मान लूंगा
मेरा हाथ जो छूटे तुम थाम लेना।
मौत का सहारा ले कर ज़िन्दगी को डराया
कुछ वक्त और दे दे, ये मनाया,
पर भला ,सौदा ज़िन्दगी का, मौत ने किया है
मुझे अमर कर पूरा ,अपना वादा किया है।
ये कविता, शायरी, ग़ज़लें या शब्द
सब कहने बयां करने का जरिया है
अल्फाज हो या शब्द सभी का सफर
लेखन से दिल तक का काफी लंबा है।।
इस बार भी उमर भर के सपने संजो रखे हैं।
ज़िन्दगी की कसौटी की परख
ना कभी की ना ख्वाहिश है,
जो तुम कह दो खरा मान लूंगा
मेरा हाथ जो छूटे तुम थाम लेना।
मौत का सहारा ले कर ज़िन्दगी को डराया
कुछ वक्त और दे दे, ये मनाया,
पर भला ,सौदा ज़िन्दगी का, मौत ने किया है
मुझे अमर कर पूरा ,अपना वादा किया है।
ये कविता, शायरी, ग़ज़लें या शब्द
सब कहने बयां करने का जरिया है
अल्फाज हो या शब्द सभी का सफर
लेखन से दिल तक का काफी लंबा है।।